Laharon ki Goonj & Suraj ki Pahali Kiran (Hardcover)
वर्षा ने कुछ हिचकते हुए कहा, ''जी हाँ।'' मेरी यह ड्रेस सुंदर है न? मिसेज...'' ''मिसेज मलकाणी।'' वर्षा ने कहा। चूडि़याँ खनखनाते हुए उस लड़की ने पुनः कहा, ''ये चूडि़याँ मुझे मेरी माँ ने दी हैं, तुम्हें अच्छी लगती हैं मिसेज...'' ''मिसेज मलकाणी।'' ''मिसेज मलकाणी, मैं तुम्हें एक राज की बात बताऊँ, किसी से बिल्कुल मत कहना, यहाँ जो डॉक्टर है न, छोटा डॉक्टर राकेश...'' वर्षा ने उसकी ओर जिज्ञासावश देखा। उसने आगे आकर उसके कान तक मुँह लगाकर धीरे से कहा, ''वह मेरे पीछे पागल है।'' वह दाँत निकालकर हँसने लगी। वर्षा हक्की-बक्की रह गई और उसकी ओर आश्चर्य भरी निगाहों से देखने लगी। उसने थोड़ा शरमाकर कहा, ''मैं खूबसूरत हूँ न, इसलिए। मैं कॉन्वेंट में पढ़ी हूँ न, इसलिए मिसेज...'' वर्षा की जबान से एक शब्द भी नहीं निकल पाया। वह वहाँ से भागना चाहती थी। -इसी संग्रह से सामाजिक बिंदुओं को स्पर्श करता प्रसिद्ध सिंधी साहित्यकार तारा मीरचंदाणीजी का उपन्यासद्वय जो पाठकीय संवदेना को छुएगा और उसके अंतर्मन में अपना स्थान बना लेगा।